निम्न न्यायालय द्वारा निर्णय दिनांक 28. 2.1996 पर भी हस्तक्षेप किया है जो विधि के प्रतिकूल है।
2.
विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्टेट, चम्पावत द्वारा पारित आदेश दिनांकः17-3-2010 विधि के प्रतिकूल है तथा. 1. जिला-चम्पावत।
3.
इस सम्बंध में उ0 प्र0 पंचायत राज अधिनियम के तहत जिलाधिकारी का आदेश विधि के प्रतिकूल है।
4.
अपीलार्थी के द्वारा अपील में यह आधार लिये गये हैं कि निम्न न्यायालय का निर्णय विधि के प्रतिकूल है।
5.
इस प्रकार रिपोर्टर द्वारा ही मुकदमे की विवेचना करना विधि के प्रतिकूल है, इसलिए इस आधार पर भी अभियुक्त. 10. दोषमुक्त किए जाने योग्य है।
6.
अपीलार्थी / अभियुक्त द्वारा यह अपील इस आधार पर प्रस्तुत की गयी है कि, विद्वान मजिस्टैªट द्वारा पारित निर्णय एवं दण्डादेश पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं विधि के प्रतिकूल है।
7.
अपीलार्थीगण / अभियुक्तगण द्वारा यह अपील इस आधार पर प्रस्तुत की गयी है कि, विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्टैªट द्वारा पारित निर्णय एवं दण्डादेश पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं विधि के प्रतिकूल है।
8.
उच्चतर न्यायालय पुनरीक्षण इसी आधार पर वियुक्त कर सकता है कि नीचे के न्यायालय द्वारा सार रूप में न्याय हो चुका है चाहे वह निर्णय विधि के प्रतिकूल ही हुआ हो।
9.
उच्चतर न्यायालय पुनरीक्षण इसी आधार पर वियुक्त कर सकता है कि नीचे के न्यायालय द्वारा सार रूप में न्याय हो चुका है चाहे वह निर्णय विधि के प्रतिकूल ही हुआ हो।
10.
अपीलार्थी / अभियुक्त कुलदीप त्यागी द्वारा यह अपील इस आधार पर प्रस्तुत की गयी है कि, विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्टैªट द्वारा पारित निर्णय एवं दण्डादेश पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं विधि के प्रतिकूल है।